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Stanislaw Jerzy Lec (1909 - 1966)



Polish satirist, poet, aphorist. He belonged to poetry of the "second" postwar period which was noted for the expression of philosophical thought.
Stanislaw Jerzy Lec was a satirical poet noted for skeptical philosophical aphorisms in Mysli nieuczesane (published in series from 1957 with the title of "Unkempt Thoughts").






अपने वतन के लिए प्रेम दूसरों की सीमाएं नहीं देखता
उसका विवेक साफ़ था; कैसे न होता, जब उसने कभी उसका इस्तेमाल ही नहीं किया
क़ैदियों के लिए यथार्थ से पलायन आसान बनाने का आरोप साहित्य पर अक्सर लगता है
कानून की नज़र में हम सब बराबर हैं मगर उसे लागू करने वालों की नज़रों में नहीं
जब ख़ुशी से कूदो तो ध्यान रखो कि कोई तुम्हारे पैरें तले की ज़मीन न खींच ले जाए
ज़िन्दगी आदमी का बहुत समय ले लेती है
जो लेखक गहराई में नहीं जाता वह हमेशा सतह पर ही बहता रहेगा
दूसरों की अशिक्षा से लेखन-क्रिया भी मुश्किल हो जाती है
निस्स्वार्थ बनें, दूसरों का स्वार्थ का आदर करें
मृत्यु का पहला लक्षण पैदाइश है
यह देखना बहुत कठिन है कि प्रवाह के साथ कौन अपने मन से जाता है
रात को मदद के लिए आवाज़ न दें। आपके पड़ोसी जग सकते हैं
विचार जूं की तरह हैं, एक से दूसरी जगह कूदती हैं मगर सभी को काटती नहीं
सभी भगवान अमर थे
सोचने से पहले मनन करो
हम होने के लिए हमें कुछ बनने की ज़रूरत है